औचित्य स्थापन sentence in Hindi
pronunciation: [ auchitey sethaapen ]
"औचित्य स्थापन" meaning in English
Examples
- देउस्कर ने नैतिक औचित्य स्थापन के लिए भारत के बारे में अंग्रेजों के बनाये जिन मिथकों का पर्दाफ़ाश किया उनमें भारत कि कल्पित असभ्यता एक है.
- लेकिन इस निष्कर्ष तक वे नहीं पहुंचे थे कि रामविलास ने यह सब सचेत रूप से षड्यंत्रपूर्वक ब्राम्हणों के महिमामण्डन, वर्णव्यवस्था के औचित्य स्थापन और हिंदुत्व की श्रेष्ठता को स्थापित करने के लिए किया था।
- स्वर्णिम अतीत का गौरवबोध हो या फिर भविष्य में उस अतीत के प्रत्यावर्तन की आशा, पश्चिम के भौतिकवाद के विरुद्ध भारत के अध्यात्मवाद का औचित्य स्थापन हो या पाश्चात्य परिवर्तनशीलता के विपरीत अपनी स्थिरता का आत्मतोष-भारतीय मनीषा द्वारा निर्मित सारे सुरक्षा कवच, वस्तुनिष्ठ रूप से उपनिवेशवादी विचारप्रणाली के ही अस्त्रा साबित हु ए.
- रामविलास शर्मा ने अगर इस धारणा से जीवन भर संघर्ष किया तो इसी लिए कि यह धारणा 1947 में सत्ता-हस्तांतरण के बाद भी अकादमिक हलकों और भारत के बौद्धिकों के बड़े वर्ग में जमी रही और भारत के नव-उपनिवेशवादी शोषण का औचित्य स्थापन करती रही. भारत के पूंजीवादी-सामंती गठजोड़ को प्रकारांतर से बल प्रदान करती रही.
- रामविलास शर्मा ने अगर इस धारणा से जीवन भर संघर्ष किया तो इसी लिए कि यह धारणा 1947 में सत्ता-हस्तांतरण के बाद भी अकादमिक हलकों और भारत के बौद्धिकों के बड़े वर्ग में जमी रही और भारत के नव-उपनिवेशवादी शोषण का औचित्य स्थापन करती रही. भारत के पूंजीवादी-सामंती गठजोड़ को प्रकारांतर से बल प्रदान करती रही.
- औपनिवेशिक, वैचारिक और नैतिक औचित्य स्थापन के प्रतिरोध की दृष्टि से “ देश की बात ” की भूमिका में पाण्डेय जी ने आज के अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानवाधिकार की स्थापना के नाम पर ईराक, अफगानिस्तान और दीगर तीसरी दुनिया के देशों में अमरीकी हमलों के हवाले से दिखलाया है कि कैसे पुराने उपनिवेशवाद और आज के साम्राज्यवाद के वैचारिक और नैतिक औचित्य स्थापन के पाखंडी तौर-तरीके में एक अद्भुत निरंतरता है.
- औपनिवेशिक, वैचारिक और नैतिक औचित्य स्थापन के प्रतिरोध की दृष्टि से “ देश की बात ” की भूमिका में पाण्डेय जी ने आज के अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानवाधिकार की स्थापना के नाम पर ईराक, अफगानिस्तान और दीगर तीसरी दुनिया के देशों में अमरीकी हमलों के हवाले से दिखलाया है कि कैसे पुराने उपनिवेशवाद और आज के साम्राज्यवाद के वैचारिक और नैतिक औचित्य स्थापन के पाखंडी तौर-तरीके में एक अद्भुत निरंतरता है.
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